मंदिर परिसर

मंदिर परिसर -मॉं कामाख्‍या मंदिर में दर्शन-पूजन को जाने वाले भक्‍त गाजीपुर-बारा मुख्‍य मार्ग पर काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के गेट के तर्ज पर बने मॉं कामाख्‍या मंदिर स्‍वागत द्वार से प्रवेश करते ही मॉं कामाख्‍या मंदिर के प्रांगण में पहुँच जाते हैं। स्‍वागत द्वार से 200 मीटर की दूरी पर मंदिर का प्रवेश द्वार हैं। इस रास्‍ते में आपको कई दुकाने एवं सुविधाएं मिलेगी। स्‍वागत द्वार से प्रवेश करते कर मंदिर परिसर में मॉं कामाख्‍या पुलिस चौकी आपका स्‍वागत करती है। कई बैंकों के एटीएम मंदिर परिसर में आपको दिखाई देगें। मंदिर परिसर में बने हुए विशेष स्‍थानों एवं सुविधाओं की जानकारी आपको यहॉं दिया जा रहा है।

प्रवेश द्वार- प्रवेश द्वार से प्रवेश करते भक्त मंदिर परिसर में आ जाता ह।वह अब दर्शन पाने के बिल्कुल करीब रहता है।मॅा का भवन ठीक सामने नजर आता है। बैरिकेटिंग के सहारे स्त्री – पुरूष की अलग अलग लाइने हेती है। मेले के समय इस पूरे परिसर में भक्ते का हूजूम लगा रहता है। प्रवेश द्वारा के पर एक गुफा जैसे आकृति एंव पेड़ के तने की शक्ल का द्वारा बनाया गया हैं गुफा से गिरता पानी और घंट भक्तो को आकर्षित करता है।गुफा के दहिनी तरफ से स्त्री एवं बाये तरफ से पुरूष मंदिर में प्रवेश करते हैं। गुफा के शीर्ष पर धातु का एक बड़ा सा त्रिशुल लगा हुआ है।

विवाह भवन- मंदिर परिसर में कई विवाह भवन हैं। जहॉं मंदिर प्रशासन से अनुमति लेने के पश्चात कुछ शुल्क देकर इस में वैवाहिक एवं अन्‍य कार्यक्रम कराये जाते है। ये भवन समस्त आवश्यक सुविधाओं से परिपूर्ण है।

विश्रामगृह- मंदिर परिसर में मंदिर प्रशासन द्वार मुख्‍य मंदिर से सटे हुए कई कमरे बने हुए हैं। जहॉं भक्‍त रात को आराम कर सकते हैं और साथ ही अपने किसी आयोजन के लिए उन कमरों का कुछ शुल्‍क देकर प्रयोग करते हैं। इसी विश्रामालय में नवरात्रि में भंडारा बनता है और आकस्मिक चिकित्‍सा शिविर शासन द्वारा लगाया जाता है।

सांस्कृतिक मंच – युनियन बैंक आफ इडिया की तरफ से मंदिर परिसर में एक सांस्कृतिक मंच का निर्माण कराया गया है, जहॉं वर्ष भर गायन,लोकगीत इत्यादि के कार्यक्रम हेते है इस मंच के आगे बैठने के लिये बहुत बड़ी जगह है।

मुडंन स्थल- गर्भगृह के नीचे बायीं तरफ राम जानकी मंदिर के बगल में एक विशाल मुड़न कक्ष है। जिसमें चौलकर्म कराने वाले लोग अपने बच्‍चों या मन्‍नत पूरा होने पर अपना मुड़न कराते हैं। बहुत अधिक भीड़ होने पर इस भवन के बाहर भी चौलकर्म संस्‍कार किया जाता है। चौलकर्म संस्‍कार हेतु वहॉं के नाई समाज द्वारा कुछ मुल्‍य निर्धारित है। जिसे देकर आप चौलकर्म संस्‍कार करा सकते हैं।

राम जानकी एवं हनुमान मंदिर- मॉं कामाख्‍या धाम में गर्भगृह के निकास द्वार के बगल में राम जानकी एवं हनुमान मंदिर बना हुआ है। सफेद संगमरगर से बना यह मंदिर काफी भव्‍य लगता है। राम-जानकी-लक्ष्‍मण की प्रतिमा जीवंत जान पड़ती हैं। इस प्रतिमा के ठीक सामने बजरंग बली की प्रतिमा स्‍थापित है। जहां प्रत्‍येक मंगलवार एवं शनिवार की शाम संगीतमय रामधुनी, सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है।

भैरो बाबा मंदिर – गर्भगृह के नीचे सीढ़ीयों से उतरते ही दायीं ओर मंदिर कार्यालय के बगल में भैरो बाबा का मंदिर बना हुआ है।इस मंदिर में भैरो बाबा की काले पत्थर से बनी प्रतिमा है। मान्यता है कि भैरो को माँ से आर्शीवाद प्राप्त है, कि भक्त माँ के दर्शन के बाद जब तक भैरो बाबा का दर्शन नही करता उसका पूजन सफल नहीं हो सकता। इस लिये भक्त माँ के दर्शन के बाद भैरो बाबा का दर्शन अवश्य करता है।

मंदिर कार्यालय- गर्भगृह के नीचे प्रवेश द्वार के ठीक बगल में मंदिर का कार्यालय है। कार्यालय के पीछे एक बड़ा सा हाल है। जो विभिन्‍न कार्यक्रमों के लिए प्रयोग होता है। इसमें एक मंच भी बना हुआ है। जहॉं कुछ छोटे कार्यक्रम एवं बैठके होती हैं। मॉं को अर्पित करने वाले आभूषण या बड़ी रकम देकर भक्‍त यहॉं से रसीद प्राप्‍त करते हैं।

झॉंकिया- परिसर में मॅा दुर्गा, कृष्ण, विष्णु भगवान समेत कुल 1 दर्जन विद्युत चलित झॉंकिया बनी है जो विशेष अवसरो पर चलायी जाती है । बंद रहने पर भी यह झॉंकिया भक्तो का ध्यान अपने तरफ आकर्षित कर ही लेती है। यह झॉंकिया गर्भगृह के पास बने बरामदे से भी साफ दिखती है।

पार्क- मॉं कामाख्‍या मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक नीचे दोनो तरफ दो पार्क बने हुए हैं। जिससे फौव्‍हारा, बैठने की व्‍यवस्‍था इत्‍यादि लगा कर इसे काफी सुंदर रूप दिया गया है। मंदिर पर आये लोग यहॉं फोटोग्राफी करना नहीं भूलते।

स्वागत द्वार -मॅाँ कामाँख्या धाम पर पहुँचते ही गाजीपुर-बारा मुख्य मार्ग पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की तर्ज पर बने लगभग 40 फीट ऊँचा पश्चिम और दक्षिण दिशा की तरफ मुख वाला यह द्वार आप स्वागत करता है। इस द्वारा से अन्दर गया रास्ता सीधे आप को मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुँचा देता है।

पुलिस चौकी – मंदिर परिसर में 1998 के तत्कालिन जिलाधिकारी राजन शुक्ला द्वारा यहँॅा होने वाली भीड़-भाड़ को नियंत्रित करने एंव असमाजिक तत्वो से भक्तो की रक्षा करने के उद्वेश्य से पुलिस चौकी का निर्माण करया गया था।। यह पुलिस चौकी गहमर थाना से संवृद्व है। नवरात्रि एवं अन्य महत्वपूर्ण अवसरो पर वाहनो को यही रोकदिया जाता है।

वाहन स्‍टैंड- पुलिस चौकी के ठीक पीछे वाहनों के लिए सुरक्षित स्‍टैंड बने हुए हैं। दो चक्‍का वाहन से बड़े वाहन तक खड़े करने की वहॉं पूरी व्‍यस्‍था है। मंदिर में प्रवेश से पहले वहॉं आप वाहन को खड़ा कर सकते हैं।

बाजारमंदिर परिसर के सामने पुलिस चौकी के पीछे मॅाँ कामाँख्या जिर्णोद्वार समीति द्वारा द्वारा 42 पक्की दुकाने बनायी गयी है, जिसमें प्रसाद,फूल एवं मिठाईयों की दुकाने है। इस के अतरिक्त मेले के समय पूरे परिसर में जगह-जगह दुकाने सुसज्जित ढ़ग से लगायी जाती है, सावन एंव चैतीय रामनवमी में तो पूरा परिसर दुकानो, झॉंकीयों एवं झूलो से अटा पड़ा रहता है।

पोखरा- मंदिर परिसर में दूर-दराज के भक्‍तों एवं स्‍थानीय लोगों के श्रमदान से परिसर में एक भव्य पोरखे का निमार्ण कराया गया है। इस पोखरे के चारो तरफ पक्के घाट बने है जहॉं दूर से आने वाले भक्त स्नान करते है और उसके उपरान्त मॅा की पूजन करते है, इस पोखरे के चारो तरफ बैठने के लिये छायादार स्थान भी बने हुए हैं। चैतीय नवरात्रि और सावन में पोरखे के चारो तरफ विभिन्‍न प्रकार के दुकान एवं झूले लगाये जाते हैं।

खुला मैदान- मंदिर के गर्भ गृह के सामने एक छायादार खुला मैदान है। जिसमें भक्‍त रात को विश्राम करते हैं, भोजन इत्‍यादि बनाते हैं या किसी कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इस मैदान में कार्यक्रम करने के लिए मंदिर प्रशासन से आज्ञा लेनी होती है।नवरात्रि के नवमी के दिन इस पूरे मैदान में भक्‍त हवन-पूजन करते हैं। दोपहर के बाद इसमें दंगल का कार्यक्रम होता है।

डाकबंगला-मंदिर परिसर में वन विभाग एवं पर्यटन विभाग द्वारा दो डाक बंगले का भी निमार्ण कराया गया है। मंदिर परिसर में आने वाले वीआईपी एवं अन्‍य लोग आवश्‍यकता के अनुसार ठहरते हैं।

खान-पान मंदिर परिसर में खान-पान हेतु कई दुकाने बनी हुई हैं। जिसमें आपको शुद्व एव सात्विक भोजन व नास्‍ता मिल जाता है। किसी आयोजन के समय आप मनचाहे दुकानदार को आर्डर देकर अपने लिए विशेष भोजन/नास्‍ता या व्‍यवस्‍था लें सकते हैं।

जय मॉं कामाख्‍या