पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योगशक्ति से अपना देह त्याग दी तो भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु अपने चक्र से उनका देह काटते गए तो नीलाचल पहाड़ी में भगवती सती की योनि (गर्भ) गिर गई, और उस योनि (गर्भ) ने एक देवी का रूप धारण किया, जिसे देवी कामाख्या कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, मऊ, बलिया, बनारस, गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर और बिहार के आरा, बक्सर, सासाराम समेत कुल 17 जिलों को मिला कर मध्य उत्तर भारत में कर्मनाशा, गंगा और यमुना के मैदानी क्षेत्र में बसा है पूर्वांचल। पूर्वांचल को भारत की उर्वरा भूमि कहा जाता तो गलत नहीं होगा। साहित्य, राजनैतिक, वीरता या धार्मिक किसी भी नज़र से आप देखेगें तो पूर्वांचल को समृद्ध पायेगें। पूर्वांचल में आदि-शक्ति विधांचल माता के मंदिर के बाद यदि कोई मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है तो वह है उत्तर भारत का एक मात्र मंदिर माँ कामाख्या धाम।
उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जनपद स्थित गहमर में स्थित है मॉं कामाख्या का पावन धाम। मॉं कामाख्या का मंदिर होने के कारण जगतगुरू शंकराचार्य ने वर्ष 2004 में इस क्षेत्र को कामाक्षी क्षेत्र घाेषित किया था। आज मॉं कामाख्या का मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। भारत के विभिन्न भागों से भक्त आकर मॉं कामाख्या का दर्शन पूजन कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। मॉं कामाख्या धाम पर विशेष पूजन अर्चन करने वाले भक्त पहले गहमर के नारायणीघाट पर आकर गंगा स्नान करते हैं, फिर वही पास बने सिद्ध बाबा के मंदिर जहॉं बैठ कर विश्वामित्र जी ने भगवान राम के साथ तपस्या किया और आगे जाकर ताड़का का वध किया, दर्शन कर मॉं कामाख्या के धाम में पहुँचते हैं। मॉं कामाख्या का मंदिर होने के कारण कामाक्षी क्षेत्र घोषित गहमर अपने आप में एक विविधताओं वाला गॉंव है।
सिकरवार वंश के राजपूतों का गॉंव होने के कारण इसका वीरता में अपना एक अलग स्थान है। चाहे हुमायूँ के साथ युद्ध हो या स्वतंत्रता संग्राम हो या प्रथम/द्वितीय विश्व युद्ध हो यहॉं के लड़ाको ने हरदम अपना परचम लहराया है। वीर मैगर सिंह यहाँ के ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो अंग्रेजों को गंगा में कूद कर भागने पर विवश कर दिये। आज भी गहमर क्षेत्र के हजारो युवक देश की विभिन्न सुरक्षा एजेन्सीयों में कार्यरत होकर देश की सेवा में लगे है।
राजनैतिक रूप से भी यह क्षेत्र काफी संबृद्ध है। यहॉं के सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी ने पूर्वांचल की गरीबी का और किसानें की दुदर्शा का देश के प्रधानमंत्री के सामने ऐसा व्याख्यान किया जिससे पंडित जवाहर लाल नेहरू जी रो पड़े और तुरंत ही इस क्षेत्र के विकास एवं सिचाई की कई योजनाओं को लागू कर दिया।
साहित्य के क्षेत्र में यहाॅं के गोपालराम गहमरी को कौन भूल सकता है। भारत में जासूसी शब्द की उत्पति करने वाले और लोगों को अपनी कहानीयों को पढ़ने के लिए हिन्दी सीखने पर विवश करने वाले गोपालराम गहमरी ने वर्ष 1920 में एक गॉंव से पत्रिका निकाल कर पूरे हिन्दी साहित्य जगत को सोचने पर विवश कर दिया।
ऐसे कामाक्षी क्षेत्र में स्थित मॉं कामाख्या के मंदिर पर पूरे वर्ष लाखों लोगो का आना जाना लगा रहा है। मॉं कामाख्या सभी को स्वस्थ एवं सुखी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
जय मॉं कामाख्या